एक बार एक लडकी ने मौलाना से पूछा
मौलाना ने पूछा - बोलो बेटी क्या बात है?
लडकी ने कहा- हमारे समाज में लड़कों को हर प्रकार की आजादी होती है।
वह कुछ भी करे, कहीं भी जाए उस पर कोई खास टोका टाकी नहीं होती।
इसके विपरीत लड़कियों को बात बात पर टोका जाता है।
यह मत करो, यहाँ मत जाओ, घर जल्दी आ जाओ आदि।
मौलाना मुस्कुराए और कहा...
बेटी तुमने कभी लोहे की दुकान के बाहर पड़े लोहे के गार्डर देखे हैं?
ये गार्डर सर्दी, गर्मी, बरसात, रात दिन इसी प्रकार पड़े रहते हैं।
इसके बावजूद इनका कुछ नहीं बिगड़ता और इनकी कीमत पर भी कोई अन्तर नहीं पड़ता।
लड़कों के लिए कुछ इसी प्रकार की सोच है समाज में।
अब तुम चलो एक ज्वेलरी शॉप में।
एक बड़ी तिजोरी, उसमें एक छोटी तिजोरी।
उसमें रखी छोटी सुन्दर सी डिब्बी में रेशम पर नज़ाकत से रखा चमचमाता हीरा।
क्योंकि जौहरी जानता है कि अगर हीरे में जरा भी खरोंच आ गई तो उसकी कोई कीमत नहीं रहेगी।
इस्लाम में बेटियों की अहमियत भी कुछ इसी प्रकार की है।
पूरे घर को रोशन करती झिलमिलाते हीरे की तरह।
जरा सी खरोंच से उसके और उसके परिवार के पास कुछ नहीं बचता।
बस यही फर्क है लड़कियों और लड़कों में।
पूरी मजलिस में चुप्पी छा गई।
उस बेटी के साथ पूरी मजलिस की आँखों में छाई नमी साफ-साफ बता रही थी लोहे और हीरे में फर्क।।।
प्लीज , आप से मेरी
इल्तजा हैं कि ये मैसेज अपनी बेटी-बहन को जरूर पढायें और दोस्तों में , रिश्तेदारों के साथ, सभी ग्रुप्स में शेयर करें ।
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